Bekhayali Hindi(बेख्याली)Lyrics.
बेख्याली में भी तेरा ही ख्याल आये
क्यों बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये
तेरी नज़दीकियों की ख़ुशी बेहिसाब थी
हिस्से में फ़ासले भी तेरे बेमिसाल आये
मैं जो तुम्हसे दूर हूँ
क्यों दूर मैं रहूँ
तेरा ग़ुरूर हूँ
आ तु फासला मिटा
तू ख्वाब सा मिला
क्यूँ ख्वाब तोड़ दूँ
बेख्याली में भी तेरा ही ख़याल आये
क्यूँ जुदाई दे गया तू ये सवाल आये
थोड़ा सा मैं खफा हो गया अपने आप से
थोड़ा सा तुझपे भी बेवजह ही मलाल आये
है ये तड़पन, है ये उलझन
कैसे जी लूं बिना तेरे
मेरी अब सब से है अनबन
बनते क्यों ये खुदा मेरे हम्म...
ये जो लोग-बाग़ हैं
जंगल की आग हैं
क्यों आग में जलन...
ये नाकाम प्यार में
खुश हैं ये हार में
इन् जैसा क्यों बनूँ....
रातें देंगी बता
नींदों में तेरी ही बात हैं
भूलूँ कैसे तुझे
तू तोह खयालो में साथ है
बेख्याली में भी तेरा ही ख्याल आये
क्यों बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये
नज़रों के आगे हर एक मंज़र
रेत की तरह बिखर रहा है
दर्द तुम्हारा बदन में मेरे
ज़हर की तरह उतर रहा है
नज़रों के आगे हर एक मंज़र
रेत की तरह बिखर रहा है
दर्द तुम्हारा बदन में मेरे
ज़हर की तरह उतर रहा है
आ ज़माने आज़माले रूठ ता नहीं
फासलों से हौसला ये टूटता नहीं
ना है वह बेवफा और ना मैं हूँ बेवफ़ा
वह मेरी आदतों की तरह छूट ता नहीं
क्यों बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये
तेरी नज़दीकियों की ख़ुशी बेहिसाब थी
हिस्से में फ़ासले भी तेरे बेमिसाल आये
मैं जो तुम्हसे दूर हूँ
क्यों दूर मैं रहूँ
तेरा ग़ुरूर हूँ
आ तु फासला मिटा
तू ख्वाब सा मिला
क्यूँ ख्वाब तोड़ दूँ
बेख्याली में भी तेरा ही ख़याल आये
क्यूँ जुदाई दे गया तू ये सवाल आये
थोड़ा सा मैं खफा हो गया अपने आप से
थोड़ा सा तुझपे भी बेवजह ही मलाल आये
है ये तड़पन, है ये उलझन
कैसे जी लूं बिना तेरे
मेरी अब सब से है अनबन
बनते क्यों ये खुदा मेरे हम्म...
ये जो लोग-बाग़ हैं
जंगल की आग हैं
क्यों आग में जलन...
ये नाकाम प्यार में
खुश हैं ये हार में
इन् जैसा क्यों बनूँ....
रातें देंगी बता
नींदों में तेरी ही बात हैं
भूलूँ कैसे तुझे
तू तोह खयालो में साथ है
बेख्याली में भी तेरा ही ख्याल आये
क्यों बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आये
नज़रों के आगे हर एक मंज़र
रेत की तरह बिखर रहा है
दर्द तुम्हारा बदन में मेरे
ज़हर की तरह उतर रहा है
नज़रों के आगे हर एक मंज़र
रेत की तरह बिखर रहा है
दर्द तुम्हारा बदन में मेरे
ज़हर की तरह उतर रहा है
आ ज़माने आज़माले रूठ ता नहीं
फासलों से हौसला ये टूटता नहीं
ना है वह बेवफा और ना मैं हूँ बेवफ़ा
वह मेरी आदतों की तरह छूट ता नहीं
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